Hello Friends, you already know me, I am writer and poetry Aacky Verma. So today I am here with my another poetry and the poetry title is kaash mai bacha hota where we discussing about our childhood innocence, that time we don’t have any stress but now we have to much.. So i put those feelings in words.
नमस्कार दोस्तों, आप मुझे पहले से ही जानते हैं, मैं लेखक और कविता आकी वर्मा हूं। तो आज मैं अपनी एक और शायरी के साथ यहां हूं और कविता का शीर्षक है काश मैं बच्चा होता जहां हम अपने बचपन की मासूमियत के बारे में चर्चा करते हैं, उस समय हमें कोई तनाव नहीं होता लेकिन अब हमें बहुत कुछ करना है.. इसलिए मैंने उन भावनाओं को शब्दों में रखा है .
हम भी परिंदों की तरह,
उड़ सकते तो कितना अच्छा होता
छोड़ के ना जाते वो
जो उनका प्यार सच्चा होता
अब तो बस खुदा से यही मिन्नते करता हूं
कि काश में आज भी बच्चा होता
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